James Webb Space Telescope : 74 हज़ार करोड़ रुपए की NASA की " Time Machine " दिखाएगी BigBang कैसे हुआ ? Universe की शुरुआत कैसे हुई ?

[ Photo Credit :- ESA ]

James Webb Space Telescope

हम बात कर रहे हैं, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की, जिसे 14 देशों के हज़ारों इंजीनियर्स और वैज्ञानिकों की 4 करोड़ घंटे की मेहनत और 7 हज़ार 500 करोड़ की लागत से बनाया गया है। James Webb का निर्माण NASA ने यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) और कनाडा स्पेस एजेंसी (CSA) के साथ मिलकर किया है.

नासा के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की आगे की योजना क्या है? अपनी यात्रा की शुरुआत कर चुका जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप किन-किन पड़ावों से होकर गुजरेगा? और दुनिया भर के खगोलविदों की इससे क्या-क्या आशाएं जुड़ी हैं? हम आपको सब बताएंगे इस लेख में।


James Webb Space Telescope 
[ Photo Credit:- NASA ]
NASA के JWST मिशन का उद्देश्य क्या है ?

सबसे मुख्य उद्देश्य तो है, ब्रह्मांड की उत्पत्ति के वक्त पैदा हुई शुरुआती रौशनी को कैप्चर करना. ताकि शुरुआती आकाश गंगाएं कैसे बनी, इसका अध्ययन किया जा सके.

इसके अलावा दूसरा उद्देश्य है जीवन की उत्पत्ति के रहस्य को सुलझाना. इसके लिए जेम्स वेब सुदूर आकाशगंगाओं(Galaxy) में ग्रहों पर मौजूद जीवन के निशान खोजने की कोशिश करेगा.

[ NOTE :- James Webb Space Telescope के बारे में अच्छे से समझने के लिए ,इससे पहले "Hubble telescope" के बारे में समझना होगा। ]


[ NASA's Hubble Space Telescope ]

Hubble Space Telescope

1990 में नासा ने जेम्स वेब के पूर्ववर्ती हबल टेलीस्कोप को लॉन्च किया. तब किसी ने सोचा नहीं था कि वो हमें क्या दिखाएगा।31 सालों में हबल ने हमें कुछ ऐसी अद्भुत तस्वीरों से नवाज़ा है. जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

 हबल द्वारा एकत्र किए डेटा से वैज्ञानिक अंतरिक्ष में सुदूर आकाशगंगाओं, ग्रहों, तारों, आदि के बारे में बेहतर समझ बना पाए हैं. इसकी बदौलत ही हमें ब्रह्मांड की ठीक-ठीक उमर का पता लग पाया. और ये भी पता चला कि ब्रह्मांड में जो कुछ दिख रहा है उससे कहीं अधिक मात्रा में एक ऐसी एनर्जी है. जिसे डार्क एनर्जी का नाम दिया गया. यानी जिसे अभी तक जाना नहीं जा सका है. लेकिन गणना बताती है कि ऐसी एक एनर्जी मौजूद है।


[ The spiral arms of the galaxy NGC 3318 are lazily draped across this image from the NASA/ESA Hubble Space Telescope. This spiral galaxy lies in the constellation Vela and is roughly 115 million light-years away from Earth. ]
हबल ने हमें बहुत सी जानकारियां दी. लेकिन फिर भी ये अपनी क्षमता में सीमित है. कारण कि सुदूर ब्रह्मांड से आने वाली प्रकाश की वो वेवलेन्थ जिन्हें ये पकड़ नहीं सकता था. सुदूर ब्रह्मांड में गैस और धूल के ऐसे विशाल बादल हैं, जिन्हें प्रकाश की विजिबल वेवलेंथ पार नहीं कर सकती. इसके बरअक्स इन्फ्रारेड किरणें धूल और गैस के बादलों को पार कर सकती हैं. इसलिए नासा ने एक ऐसे टेलीस्कोप की तैयारी शुरू की, जो इन्फ्रारेड किरणों को पकड़ सके.इसी ख़याल से शुरुआत हुई जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की
Edwin Hubble examining a photograph of a galaxy.
 Credits: Edwin P. Hubble Papers, Huntington Library, San Marino, California

Hubble नाम की खास वजह ?

Hubble Telescope का नाम मशहूर अमेरिकी एस्ट्रोनॉमर एडविन हब्बल के नाम पर रखा गया था. ब्रह्मांड Static यानी रुका हुआ नहीं है. बल्कि ये तेज गति से विस्तार कर रहा है. ये पता लगाने वाले एडविन हबल पहले व्यक्ति थे.
Astronauts Steven L. Smith and John M. Grunsfeld replace gyroscopes during Servicing Mission 3A in December 1999. Credits: NASA

James Webb Mission
 इस मिशन की शुरुआत 1996 में हो चुकी थी. और तब इसकी लॉन्च डेट 2005 रखी गई थी. लेकिन बजट और टेक्निकल दिक्कतों के चलते इसकी लॉन्च डेट आगे खिसकती गई. सबसे बड़ी दिक़्क़त थी इसकी टेस्टिंग की. जिसमें लगभग सात साल लग गए. टेस्टिंग इसलिए ज़रूरी थी कि एक बार लॉन्च के बाद इसमें कोई ख़ामी आ गई तो उसे सही करना लगभग असम्भव होगा. 1990 में जब हबल को लॉन्च किया गया तो उसमें भी खराबी आई थी. तब एस्ट्रोनॉट्स को भेजकर इसे सही कर लिया गया. लेकिन इस बार ये सम्भव नहीं है. क्यों? क्युकी Hubble telescope हमारी पृथ्वी के orbit में था , लेकिन James Webb Space Telescope हमारी पृथ्वी से 15 लाख Km दूरी पर रहेगा।

Hubble telescope पृथ्वी से 570 km की दूरी पर है, जबकी James Webb Telescope पृथ्वी से 15 लाख km दूरी पर रहकर सूर्य का चक्कर लगाएगा।

James Webb Space Telescope को Time Machine क्यों कहा जा रहा है


जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को टाइम मशीन की संज्ञा भी दी जा रही है. ऐसा इसलिए कि ये समय में पीछे देखने की क्षमता भी रखता है. कैसे?वो ऐसे समझिए कि जो वस्तु अंतरिक्ष में जितनी दूर होगी. उसके प्रकाश को हम तक पहुंचने में उतना वक्त लगेगा. यानी आज जो प्रकाश हम देख पा रहे हैं वो सालों पहले उत्पन्न हुआ होगा.

[ Photo Credit :- BYJU'S ]
उदाहरण के लिए सूर्य का प्रकाश हम तक 7 मिनट में पहुंचता है. इसलिए सूरज की जो तस्वीर हमें दिखाई देती है. वो अतीत में 7 मिनट पहले की है. स्पेस के लेवल पर ये दूरी जितनी बड़ी होती जाएगी, समय का अंतराल भी उतना अधिक होता जाएगा. इसलिए हम जितनी दूर का प्रकाश पकड़ने में सक्षम होंगे. उतना ही पीछे अतीत में भी देख पाएंगे.
Webb will have an approximately 6.5 meter diameter primary mirror, which would give it a significantly larger collecting area than the mirrors available on the current generation of space telescopes.

James Webb Space Telescope की बनावट और डिजाइन


अब बात इसके टेक्निकल पक्ष की. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप में 6.5 मीटर चौड़ाई का मिरर लगा है. ताकि ये इंफ़्रारेड किरणों को कैद कर सके. तुलना के लिए देखें तो हबल के मिरर की चौड़ाई 2.5 मीटर है. साथ ही इसमें 22 मीटर की एक सनशील्ड भी लगाई गई है. तक़रीबन एक टेनिस कोर्ट के साइज़ की.

Webb's sunshield is about 22 meters by 12 meters (69.5 ft x 46.5 ft). It's about half as big as a 737 aircraft. The sunshield is about the size of a tennis court.

सनशील्ड लगाने के पीछे दो कारण है. पहला इसे सूरज के प्रकाश से बचाने के लिए. और दूसरा इसके तापमान को कम रखने के लिए. तापमान को कम रखना इसलिए ज़रूरी है कि टेलीस्कोप को -220 डिग्री सेल्सियस पर काम करना है. इतने कम तापमान पर इसलिए क्योंकि इंफ़्रारेड क्रिरणों का ताल्लुक़ ऊष्मा से होता है. और जितना कम तापमान होगा, इसकी सेंस्टिविटी उतनी ही अधिक होगी.

Post-deployment of a full-sized test sunshield. Photo: Northrop Grumman
The sunshield protects the telescope from external sources of light and heat (like the Sun, Earth, and Moon).

इन सब के अलावा जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप में तस्वीर को प्रॉसेस करने के लिए विभिन्न उपकरण भी लगे हैं. मने, फ़िल्टर, सेंसर मॉनिटर, स्पेक्ट्रोग्राफ आदि. इसके मिरर की एक खास बात और भी है. मिरर को 18 भागों में जोड़कर इस तरह डिज़ाइन किया गया कि उन्हें फ़ोल्ड कर लॉन्च किया जा सके. स्पेस में पहुंचकर ये 18 हिस्से लगभग एक तितली के पंख की तरह खुलेंगे और एक डिश का आकार बनेगा.

Webb's launch and unfolding sequence
[ Photo Credit :- ESA ]

Webb's Launch and Unfolding Sequence

लॉन्च के कुछ ही घंटों बाद जेम्स वेब टेलीस्कोप का पहला इम्तिहान आया. ये कमोबेश आसान था. पहला टास्क था टेलीस्कोप के सोलर पैनल को काम में लाना. चूंकि पहले ये बैटरी पावर पर काम कर रहा था, इसलिए सूरज की रोशनी का उपयोग कर बैटरी पावर को बचाया जाएगा. जो आगे इसके ऑर्बिट में बने रहने के काम आएगी.

अगला चरण था कोर्स करेक्शन. ये दोनों चरण शनिवार देर रात तक पूरे कर लिए गए. संडे को टेलीस्कोप का एंटीना भी रिलीज़ कर दिया गया. ताकि टेलीस्कोप डेटा को धरती तक भेज सके.

लॉन्च से तीसरे और सातवें दिनों के बीच टेलीस्कोप की सनशील्ड को खोला जाएगा ताकि इसे सूरज की रोशनी से बचाया जा सके.
Animation of Webb's Launch and Unfolding Sequence

सबसे बड़ा इम्तिहान है 10वें दिन. जब जेम्स वेब टेलीस्कोप का सेकेंडरी मिरर अपनी पोजिशन लेगा. ये चरण सबसे क्रूशियल इसलिए है क्योंकि सेकेंडरी मिरर के बिना ये स्पेस से लाइट को कैप्चर ही नहीं कर पाएगा. और ऐसा होना की स्थिति में मिशन पूरी तरह फेल हो जाएगा. अगले 30 दिन जइस मिशन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसीलिए वैज्ञानिक मज़ाक़ में ही सही, अगले 30 दिनों को ’30 डेज़ ऑफ़ टेरर’ का नाम दे रहे हैं.

आख़िरी चरण आएगा 29वें दिन. तब जेम्स वेब टेलीस्कोप अपने थ्रस्टर्स फ़ायर करके ऑर्बिट में पहुंचने की कोशिश करेगा. पहले हमने आपको बताया था कि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की टेस्टिंग में 7 साल का समय लगा है. इसका कारण है इसका ऑर्बिट.

हबल टेलीस्कोप तो बाकी उपग्रहों की तरह धरती की कक्षा में घूम रहा है. लेकिन जेम्स वेब ऐसा नहीं करेगा. जेम्स वेब धरती की ही तरह सूरज की परिक्रमा करेगा. कैसे?

उसके लिए एक टर्म जान लीजिए, एल-2 यानी दूसरा लग्रांज बिंदु?
[ Webb's Deployment Sequence ]

L2 (2nd Lagrange) क्या हैं ?

एल-2 वह बिंदु है जहां सूरज और धरती, दोनों इस पर गुरुत्वाकर्षण बल लगाएंगे. लेकिन एल-2 पर जेम्स वेब के ऑर्बिटल मोशन और गुरुत्वाकर्षण बलों का ऐसा बेलेंस बनेगा कि वो उस बिंदु पर स्थिर बना रह सकेगा.

हालांकि स्थिर का मतलब यहां धरती के सापेक्ष स्थिरता से है. सूरज का चक्कर ये तब भी लगाएगा. ऑर्बिट में स्थित हो जाने के अगले 6 महीने तक इसका कैलिब्रेशन किया जाएगा. और 2022 जुलाई महीने से उम्मीद है कि ये काम करना शुरू कर देगा.
[ Second Lagrange point (L2) ; Photo Credit: ESA ]

James Webb से आशाएं और उम्मीदें

वैज्ञानिकों की जेम्स वेब टेलीस्कोप से बहुत उम्मीदें जुड़ी हैं. संभव है कि इससे हमें कुछ सबसे बड़े प्रश्नों का उत्तर मिल जाए. मसलन शुरूआती ब्रह्मांड कैसा दिखता था? तारों, ग्रहों, आकाशगंगाओं की उत्पत्ति कैसे हुई.

हबल की मदद से हम ब्रह्मांड की उत्पत्ति के 40 करोड़ साल बाद की तस्वीर देख पाए हैं. लेकिन जेम्स वेब से हम इससे 30 करोड़ साल और पीछे जा सकेंगे. अगर ब्रह्मांड की उत्पत्ति से आज तक के समय को एक केलेंडर में बांट दिया जाए. और आज के समय को 31 दिसम्बर रात 11.55 माना जाए. तो जेम्स वेब हमें जो तस्वीर दिखाएगा, इससे 359 दिन पहले यानी 6 जनवरी की होगी.

कोशिश चाहे चंद हज़ार लोगों की हो, लेकिन जेम्स वेब के हासिल में हम सब साझेदार है. इसलिए वैज्ञानिकों की कोशिश को सराहते हुए, आइए कोशिश करें कि हम खुद में विज्ञान सम्मत समझ पैदा करें. और शुरुआत करें, तीन सवालों से. वही सवाल, जिससे समस्त विज्ञान की शुरुआत हुई है. कैसे क्यों और क्या ?
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